कभी अमेरिका और जर्मनी की जासूसी तो कभी चूहे से लड़ाई, पुतिन कैसे बने इतने पावरफुल
मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस समय हर किसी के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनके करीबी उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानते हैं जिसका अगला कदम क्या होगा, इसका पता लगाना मुश्किल होता है। विदेश मसलों पर पुतिन क्या सोचते हैं और कोई नीति बनाते समय उनके दिमाग में क्या चलता है, किसा को भी कुछ नहीं मालूम होता है। यूक्रेन के साथ जब फरवरी में रूस की जंग शुरू हुई तो अमेरिका से लेकर यूरोप की चिंताएं दोगुनी हो गईं। यूक्रेन के साथ जंग के बीच ही पुतिन अपना एक और बर्थडे मना रहे हैं। पुतिन जो एक बेहद गरीब परिवार से आते हैं, आज वह राजनेता बन गए हैं जिसके बिना अंतरराष्ट्रीय राजनीति की कल्पना नहीं की जा सकती है। पिता थे एक सिक्योरिटी गार्ड सात अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड में जन्में पुतिन दरअसल एक जासूस थे। लेनिनग्राड अब सेंट पीटर्सबर्ग में है। पुतिन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह एक साधारण परिवार से आते हैं। पुतिन को आज भी याद है कि उनकी मां मारिया शेलोमोवा बंदगोभी का सूप, कटलेट्स और पैनकेक बनाती थीं। रविवार को जब सबकी छुट्टी होती तो उनकी मां उन्हें स्टफ्ड बन, मीट और चावल पकाकर खिलाती थीं। पुतिन को हमेशा से जूडो सीखने का मन था लेकिन उनकी मां उनके इस फैसले का विरोध किया था। लेकिन वह एक ब्लैक बेल्ड जूडो खिलाड़ी बने। उनके पिता व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच पुतिन ने युद्ध में हिस्सा लिया था। सन् 1950 तक वह एक सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम कर रहे थे। चूहे को मारकर भगाया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पुतिन का परिवार सेंट पीटर्सबर्ग के एक छोटे से अपार्टमेंट में रहने लगा। एक बार चूहे ने पुतिन को काटने की कोशिश की थी। पुतिन उस समय काफी डर गए। अपार्टमेंट के रास्ते में थे जब उनका आमना-सामना चूहे से हुआ था। पुतिन ने उस चूहे के मुंह पर इतनी तेज दरवाजा मारा कि वह अधमरा हो गया। अपनी आत्मकथा में पुतिन ने बताया था कि जब उनके पास कुछ समय होता था वह चूहों को पकड़कर अपार्टमेंट से बाहर फेंकने का काम करते थे। स्टालिन और लेनिन से कनेक्शन आज कुछ लोगों को पुतिन में व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन की झलक दिखती है। पुतिन ने शायद इन्हीं दोनों से राजनीति के गुर सीखें। एक डॉक्यूमेंट्री में पुतिन ने बताया था कि उनके दादा स्प्रीरीडॉन पुतिन लेनिन और स्टालिन के घर पर कुक का काम करते थे। स्टालिन उनके दादा को काफी मानते थे। यह बात अलग है कि जब पुतिन पहली बार देश के राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने लेनिन की सरकार को रूस के लिए टाइम बम जैसी स्थिति का जिम्मेदार करार दिया था। जर्मनी और अमेरिका की जासूसी 17 साल तक पुतिन रूस की इंटेलीजेंस एजेंसी केजीबी का हिस्सा रहे। यह सोवियत संघ के जमाने की वह एजेंसी थी जो अमेरिकी एजेंसी सीआईए के बराबर समझी जाती थी। केजीबी को ही कोल्ड वॉर का जिम्मेदार माना जाता था और यह एजेंसी कई स्पाई नॉवेल्स और फिल्मों की प्रेरणा बनी थी। एक एजेंट के तौर पर पुतिन ने अमेरिका और जर्मनी की जासूसी की। आज पुतिन को रशियन भाषा के अलावा अंग्रेजी और जर्मन में भी महारत हासिल है। यह अलग बात है कि वह सार्वजनिक मौकों पर अंग्रेजी बोलने से बचते हैं। वह पल जिसने बदल दिया सबकुछ पुतिन जिस समय केजीबी में थे तो उन्हें कड़ी मेहनत करने और कानून पढ़ने के लिए कहा जाता था। लेनिनग्राड यूनिवर्सिटी से पुतिन ने लॉ की पढ़ाई की। इसके बाद 17 साल तक वह एक एजेंटे के तौर पर काम करते रहे। सन् 1989 में हुई एक घटना ने पुतिन का जीवन बदलकर रख दिया। जर्मनी के ड्रेसडेन में केजीबी के ऑफिसेज के बाहर एंटी-कम्युनिस्ट्स की भीड़ इकट्ठा थी। पुतिन को बताया गया कि केजीबी अब कुछ नहीं कर सकती है। जब तक मॉस्को से कोई आदेश नहीं आएगा, तब तक कुछ नहीं हो सकता है। बेन जुदा की किताब 'ए फ्रैजाइल एंपायर' में लिखा है इस स्थिति पर पुतिन ने कहा था, 'मॉस्को में इस समय हर कोई खामोश है। मुझे लगता है कि अब यह देश बचा ही नहीं है और गायब हो गया है। यह साफ है कि संघ बीमार पड़ चुका है और इसे ऐसी बीमारी लग गई है जिसका कोई इलाज नहीं है।' पुतिन ने इस बीमारी को 'सत्ता को लकवा' मारना बताया था। यहां से ही पुतिन की पूरी जिंदगी बदल गई। कैसे बने राजनेता पुतिन ने एक बार कहा था कि साल 2000 के बाद उन्होंने सोवियत संघ के नेताओं की कोई भी किताब नहीं पढ़ी। उनका मानना था कि ऐसे लोग जिन्होंने अपनी मातृभूमि को धोखा दिया है, वो किसी काम के नहीं होते हैं। सन् 1991 में पुतिन न केजीबी से इस्तीफा दे दिया। वह सेंट पीटर्सबर्ग वापस आ गए। वह हमेशा पर्दे के पीछे रहते और एक लो प्रोफाइल नेता के तौर पर आगे आए। सन् 1998 में तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तिसन ने पुतिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। पहले पीएम फिर राष्ट्रपति सन् 1999 में पुतिन देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद इसी साल दिसंबर में अचानक येल्तिसन ने अपना पद छोड़ने का ऐलान किया और पुतिन राष्ट्रपति बन गए। हलांकि साल 2000 में उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव भी जीता। साल 2004 में उन्होंने दूसरी बार राष्ट्रपति का कार्यकाल संभाला। साल 2008 में दमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनाया गया और पुतिन पीएम बने। साल 2012 में पुतिन ने छह साल तक राष्ट्रपति का कार्यकाल अपने नाम कर लिया। तब से ही पुतिन देश के राष्ट्रपति हैं। इन 10 सालों में वह काफी ताकतवर हो चुके हैं। हालांकि यूक्रेन की जंग के बाद रूस में ही उनकी लोकप्रियता में कमी आने लगी है। पुतिन फाइटर जेट्स तक उड़ा सकते हैं और उन्हें एफ1 का भी शौक है।
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