जब बाइडेन के सीनियर बिल क्लिंटन नहीं ले पाये पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित करने का फैसला

वॉशिंगटन: अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में किसी डेली सोप वाला ट्विस्‍ट आ गया है। जिस पाकिस्‍तान को एक महीने से दुलारा-पुचकारा जा रहा था, 450 मिलियन डॉलर की सैन्‍य मदद दी जा रही थी और जिसके आर्मी चीफ का शाही स्‍वागत हो रहा था, अब वही अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन की जली-कटी सुनने को मजबूर है। बाइडेन की मानें तो पाकिस्‍तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। पर्दे के पीछे क्‍या हुआ, क्‍या नहीं कोई नहीं जानता है, लेकिन इस घटना ने साल 1993 के एक वाकये की याद दिला दी है। उस समय अमेरिका, पाकिस्‍तान को एक आतंकी देश घोषित करते-करते रह गया था। जानिए इस कहानी के बारे में। 1993 की घटना सन् 1993 में डेमोक्रेटिक जो बाइडेन के सीनियर बिल क्लिंटन व्‍हाइट हाउस पहुंच चुके थे। वह अमेरिका के 42वें राष्‍ट्रपति बने थे और यह वह दौर था जब भारत में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के एक आर्टिकल के मुताबिक व्‍हाइट हाउस पहुंचने के पांच महीने बाद क्लिंटन ने पाकिस्‍तान को आगाह किया कि अगर कश्‍मीर में संगठनों का समर्थन बंद नहीं किया तो फिर उसे आतंकी देश घोषित कर दिया जाएगा। क्लिंटन ने यह चेतावनी अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया में आई उन रिपोर्ट्स के बाद दी थी जो कश्‍मीर में आतंकवाद बढ़ने से जुड़ी थीं। पाकिस्‍तान का भरोसा साथ ही अमेरिकी कांग्रेस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। उस समय बाल्‍ख शेख मजारी बतौर कार्यवाहक प्रधानमंत्री पाकिस्‍तान की जिम्‍मेदारी संभाल रहे थे। वह इस बात से सरासर मुकर गए कि पाकिस्‍तान कश्‍मीर में आतंकियों का समर्थन कर रहा है। उल्‍टा उन्‍होंने भारत पर ही आरोप लगा दिया कि वह पाकिस्‍तान में आतंकियों को समर्थन दे रहा है। यह वही समय था जब भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई (उस समय बॉम्‍बे) एक के बाद एक सीरियल ब्‍लास्‍ट्स से दहल गई थी। भारत ने पाकिस्‍तान पर आरोप लगाया था अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने आईएसआई की मदद से इन ब्‍लास्‍ट्स को अंजाम दिया था। शीत युद्ध के खत्‍म होने के बाद पाक में एक तबका यह मानने लगा था कि अमेरिका अब भारत के पक्ष में झुकने लगा है। जुलाई 1993 में क्लिंटन प्रशासन ने अपने सुर बदल लिए और पाकिस्‍तान को अमेरिका का भरोसेमंद साथी बता डाला। इसके बाद कई बार पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित करने की मांग उठी और कई बार बिल भी पेश किए गए लेकिन कुछ हुआ नहीं। CIA अधिकारी ने भी बताया सच अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईए के अधिकारी रहे रॉबर्ट एल ग्रेनियर ने भी इस बारे में खासतौर पर बताया था। रॉबर्ट ने एक इंटरव्‍यू में याद किया था कि कैसे क्लिंटन प्रशासन ने साल 1993 और 1994 तक पाकिस्‍तान को डराकर रखा हुआ था। रॉबर्ट उस समय विदेश मंत्रालय में तैनात थे और अंडर-सेक्रेटरी के साथ काम कर रहे थे। उस समय वह सालाना होने वाले आतंकवाद रिव्‍यू में शामिल थे। अमेरिका ने की मदद इस रिव्‍यू में ही पा‍किस्‍तान को औपचारिक तौर पर उस लिस्‍ट में रखा गया था जिनमें उन देशों के नाम था जो आतंकवाद को पनाह देते हैं। रॉबर्ट ग्रेनेयिर के मुताबिक पिछले पांच दशकों में अमेरिका, पाकिस्‍तान के कई पक्षों पर उसके बर्ताव पर चिंता जता चुका है। साल 1980 में अमेरिका ने न सिर्फ पाकिस्‍तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े सुबूतों को नजरअंदाज किया बल्कि ईनाम में आर्थिक और सैन्‍य मदद तक मुहैया कराई। उन्‍होंने बताया कि किस तरह से सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए हमलों के बाद पाकिस्‍तान ने कैसे अपना रंग बदला।


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