राहुल का मिशन-4, एमपी में भारत जोड़ो यात्रा का राजनीतिक मकसद क्या है, समझिए

भोपालः मध्य प्रदेश में की के चार दिन पूरे हो गए हैं। राहुल से लेकर कांग्रेस के तमाम नेता बार-बार कह रहे हैं कि यात्रा का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। दूसरी ओर, एमपी में यात्रा के पहले चार दिनों में ही इसके पीछे की राजनीतिक सोच सामने आने लगी है। यह स्पष्ट है कि प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस इस यात्रा के जरिए समाज के सभी तबकों को साधने की कोशिश कर रही है। बुधवार को बुरहानपुर के जरिए मध्य प्रदेश में एंट्री के बाद से राहुल गांधी की रणनीति स्पष्ट है। आदिवासी और अल्पसंख्यक बहुल बुरहानपुर में प्रवेश के अगले दिन वे खंडवा पहुंचे। टंट्या भील के जन्मस्थान पर जनसभा पर जनसभा को संबोधित करते हुए उन्हें बीजेपी पर हमला बोला। इसके अगले दिन उन्होंने ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। चौथे दिन राहुल बाबासाहब भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली महू में थे। भारत जोड़ो यात्रा के पहले चार दिनों के रोडमैप से ही इसका राजनीतिक मकसद झलकता है। राहुल एक ओर आदिवासियों को साधना चाहते हैं जिनका झुकाव पेसा एक्ट लागू होने के बाद बीजेपी की ओर होने की संभावना जताई जा रही है। बुरहानपुर को मुहब्बतों का शहर बताकर वे पहले ही अल्पसंख्यकों का दिल जीतने की कोशिश कर चुके हैं। यात्रा के तीसरे दिन ओंकारेश्वर मंदिर में भगवा वस्त्र पहने राहुल की तस्वीरें उस सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर इशारा करती हैं, जिसके जरिए कांग्रेस बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे की काट ढूंढने की कोशिश कर रही है। चौथे दिन अंबेडकर के जन्मस्थान पहुंचकर उन्होंने एससी समुदाय को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि कांग्रेस उनके साथ है। भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति का एक बड़ा लक्ष्य मालवा निमाड़ क्षेत्र में बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाना है। पिछले कई वर्षों से इस इलाके में बीजेपी का एकछत्र राज रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव हों या विधानसभा या फिर लोकसभा, यह इलाका हमेशा बीजेपी के साथ रहा है। भारत जोड़ो यात्रा मालवा-निमाड़ क्षेत्र के छह जिलों से होकर गुजरेगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि राहुल इसके जरिए बीजेपी के अभेद्य किले में कांग्रेस को प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेंगे। मिशन-4 का अंतिम हिस्सा वो फैक्टर है जो कांग्रेस के लिए नासूर बन चुका है। यह है कांग्रेस को एकजुट दिखाने की कोशिश, लेकिन अब तक इसमें कामयाबी मिलती दिख नहीं रही है। बुरहानपुर से लेकर खरगोन तक, कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आ रही है। यात्रा के स्वागत में लगे पोस्टर-बैनर में कांग्रेस का आंतरिक कलह स्पष्ट नजर आ रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के एमपी में असर का आकलन अभी नहीं किया जा सकता, लेकिन कांग्रेस कोशिशों में कोई कमी नहीं छोड़ रही। इसके असर का आकलन वोटों के गणित से ही होगा और इसके लिए अगले साल विधानसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा।


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