यूपी में 581 किलो गांजा खा गए चूहे! लेकिन ये जानवर भी नशा करने में किसी से कम नहीं
लखनऊ: मथुरा की स्थानीय कोर्ट में पुलिसवालों ने बेबसी के साथ जवाब दिया कि उनके थाने में रखा 581 किलो गांजा चूहे खा गए। पुलिसवालों का जवाब सुनकर कोर्ट हैरान हुई और उसने अगली सुनवाई पर सबूत पेश करने को कहा है। थाने के मालखाने में रखा गांजा वाकई चूहों ने खाया या नहीं यह तो अदालत तय करेगी लेकिन यह भी सच है कि नशे की लत इंसानों ही नहीं जानवरों को भी लगती है। यह लत भी नई नहीं है। महुए के पेड़ के नीचे मस्ती में झूमते जंगली हाथियों और नशे की गहरी नींद सो रहे भालुओं की कहानियां () खूब सुनने को मिलती रही हैं। आइए एक नजर डालते हैं जंगल के नशेबाजों पर... हाथी और भालू कच्ची शराब के शौकीन हाथी जंगल के आर्किटेक्ट कहे जाते हैं। वे जंगल का स्वरूप तय करते हैं। उनके दांत, सूंड और मजबूत पैर उनके औजार होते हैं। असीम शक्ति के मालिक हाथी जब पके हुए महुए खाना शुरू करते हैं तो उन्हें रोकना मुश्किल होता है। जिन जंगलों में महुए उगते हैं वहां रहने वाले आदिवासियों को महुआ बीनने के दौरान हाथियों और भालुओं से सावधान रहना पड़ता है। अकसर भालु तो तड़के महुए के पेड़ के नीचे महुआ बीनते या फिर वहां नशे में सोते दिख जाते थे। खैर जंगल साफ हुए तो महुए के पेड़ भी साफ हो गए। भालू भी बहुत ज्यादा नहीं बचे। ऐसे में जंगली हाथियों को शराब का नया ठिकाना मिल गया। जंगल किनारे बसे जिन गांवों में कच्ची शराब बनाई जाती है वहां हाथी अकसर धावा बोल देते हैं। हाथी के झुंड शराब की भट्ठियों को ढहा देते हैं, वहां रखी हुई शराब पी जाते हैं और इसके बाद तबाही मचाते हैं। यह कच्ची शराब ताड़ी, गन्ने, महुए और चावल वगैरह से बनती है। ये बंदर हैं शराब की चोरी के लिए बदनाम सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक बंदर बियर की खाली कैन में बची बियर पी रहा था। लेकिन सेंट किट्स कैरीबियन आइलैंड में रहने वाले ग्रीन वेरवेट बंदर आबादी टूरिस्टों के कॉकटेल चुराकर पीने के लिए बदनाम हैं। बताया जाता है कि ये शुरू में भी गन्ने से बनने वाली कच्ची शराब चुराकर पी जाते थे। बाद में जब विकास हुआ तो इनके ठेके भी बदल गए। अब चूंकि सेंट किट्स आइलैंड टूरिस्ट डेस्टिनेशन है इसलिए यहां साल भर ढेरों टूरिस्ट आते हैं और बीच किनारे एन्जॉय करते हैं। इस बीच उनके कॉकटेल के प्याले बंदर चुराकर भाग जाते हैं। दुनिया भर में यहां के बंदर शराब की चोरी के लिए बदनाम हैं। चमगादड़ भी नशे में उड़ते हैं जंगल में रहने वाले अधिकांश जानवरों को नशे की खुराक उन फलों से मिलती है जो फर्मेंट हो जाते हैं। आसान भाषा में कहें कि वे मीठे फल जिनमें कुदरती खमीर उठ जाता है। चूंकि फल जंगली जानवरों की स्वाभाविक खुराक हैं, ऐसे में इन नशीले फलों की लत लगना आसान है। यही होता है फलों को खाने वाले चमगादड़ों के साथ। वैज्ञानिकों ने पाया है कि अमेरिका के चमगादड़ इंसानों की तुलना में अल्कोहल को ज्यादा बेहतर तरीके से हैंडल कर पाते हैं। उनके खून में 0.3 पर्सेंट अल्कोहल की मात्रा पाई गई। दिलचस्प तौर पर अमेरिका में ड्राइवर के ब्लड में अगर 0.08 पर्सेंट से ज्यादा अल्कोहल है तो वे ड्राइव नहीं कर सकते। लेकिन चमगादड़ 0.3 पर्सेंट पर भी आराम से उड़ते हैं। नशे में धुत्त इन चिड़ियों को ले जाना पड़ा था हॉस्पिटल उत्तरी अमेरिका में एक चिड़िया होती है, बोहेमियन वैक्सविंग बर्ड। यह एक किस्म के फल खाती हैं जो बहुत अधिक मीठे होने जाने पर धीरे-धीरे फर्मेंट हो जाते हैं। मतलब में उनमें खमीर उठने की वजह से अल्कोहल की मौजूदगी हो जाती है। इसी तरह के फल बोहेमियन वैक्सविंग को बहुत पसंद होते हैं। बहुत कुछ भारतीय मैना जैसी दिखने वाली यह चिड़िया इन फलों को भरपेट खाती है। साल 2014 में हो हद ही हो गई। कनाडा में इतनी बड़ी तादाद में ये चिड़ियां फल खाने के बाद टल्ली होकर जमीन पर गिरीं कि इन्हें अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा। टल्ली मधुमक्खियों को छत्ते में नहीं मिलती है एंट्री लिस्ट में सबसे आखिरी हैं नन्ही मधुमक्खियां। कल्पना कीजिए नशे में डूबी मधुमक्खियां जब अपने छत्ते पर पहुंचें तो उन्हें उनकी साथी मधुमक्खियां ही गेट पर रोक लें, और जब तक उनका नशा नहीं उतरे उन्हें अंदर न जाने दें। सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन जीव विशेषज्ञ बताते हैं कि फर्मेंटेड परागकण से पराग या नेक्टर पीने के बाद ये सुधबुध खो बैठती हैं। कुछ तो बेचारी इतनी टल्ली हो जाती हैं कि अपने छत्ते का रास्ता ही भूल जाती हैं। जो छत्ते तक पहुंचती भी हैं उन्हें साथियों के गुस्से का सामना करना पड़ता है।
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